Posts

अमीरी पैसे से नहीं दिल से होती है दोस्तों किसी की मदद करने के लिए अमीर दिल का होना भी बहुत जरूरी है

अमीरी पैसे से नहीं दिल से होती है दोस्तों किसी की मदद करने के लिए अमीर दिल का होना भी बहुत जरूरी है _*दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति बिल गेट्स से किसी ने पूछा - 'क्या इस धरती पर आपसे भी अमीर कोई है ?*_ _*बिल गेट्स ने जवाब दिया - हां, एक व्यक्ति इस दुनिया में मुझसे भी अमीर है।*_ _*कौन ---!!!!!*_ _*बिल गेट्स ने बताया:*_ _*एक समय मे जब मेरी प्रसिद्धि और अमीरी के दिन नहीं थे, मैं न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर था.. वहां सुबह सुबह अखबार देख कर, मैंने एक अखबार खरीदना चाहा,पर मेरे पास खुदरा पैसे नहीं थे.. सो, मैंने अखबार लेने का विचार त्याग कर उसे वापस रख दिया.. अखबार बेचने वाले लड़के ने मुझे देखा, तो मैंने खुदरा पैसे/सिक्के न होने की बात कही.. लड़के ने अखबार देते हुए कहा - यह मैं आपको मुफ्त में देता हूँ..*_ _*बात आई-गई हो गई.. कोई तीन माह बाद संयोगवश उसी एयरपोर्ट पर मैं फिर उतरा और अखबार के लिए फिर मेरे पास सिक्के नहीं थे।उस लड़के ने मुझे फिर से अखबार दिया, तो मैंने मना कर दिया। मैं ये नहीं ले सकता.. उस लड़के ने कहा, आप इसे ले सकते हैं, मैं इसे अपने प्रॉफिट के हिस्से से दे रहा हूँ.. मुझे नुकसान न

प्रकृति सब देखती है और उसका फल फिर किसी और के निमित्त से हमें मिलता है, और हमें लगता है कि लोग हमें बेवजह ही परेशान कर रहे हैं

*वार्ता -कर्म पीछा नहीं छोड़ते ??*     एक सेठ जी ने अपने मैनेजर को इतना डाटा--- की मैनेजर को बहुत गुस्सा आया पर सेठ जी को कुछ बोल ना सका--   - वह अपना गुस्सा किस पर निकाले-- हो गया सीधा अपने कंपनी स्टाफ के पास और सारा गुस्सा कर्मचारियों पर निकाल दिया।    - अब कर्मचारी किस पर अपना गुस्सा निकाले--?    तो जाते-जाते अपने गेट वॉचमैन पर उतारते गए- - अब वॉचमैन किस पर निकाला अपना गुस्सा-? - तो वह घर गया और अपनी बीवी को डांटने लगा बिना किसी बात पर। - अभी भी उठी और अपने बच्चे की पीठ पर 2 धमाक धमाक लगा दिया-- -- सारा दिन tv देखता रहता है काम कुछ करता नहीं है-- - अब बच्चा घर से गुस्से से निकला, और  सड़क पर सो रहे कुत्ते को पत्थर दे मारा, -- कुत्ता हड़बड़ाकर भागा और सोचने लगा कि इसका मैंने क्या बिगाड़ा-? - और गुस्से में उस कुत्ते ने एक आदमी को काट खाया- -- और कुत्ते ने जिसे काटा वह आदमी कौन था-? -- वही सेठ जी थे,  जिन्होंने अपने मैनेजर को डांटा था।   - सेठ जी जब तक जिए तब तक यही सोचते रहे कि उस कुत्ते ने आखिर मुझे क्यों काटा-? -            --*लेकिन बीज किसने बोया* ?    -- आया कुछ समझ में--  *कर्म क

अब यह फैंसला हर माँ बाप को करना है कि अपना पेट काट काट कर, दुनिया की हर तकलीफ सह कर, अपना सबकुछ बेचकर,बच्चों के सुंदर भविष्य के सपने क्या इसी दिन के लिये देखते हैं?

पुत्र अमेरिका में जॉब करता है। उसके माँ बाप गाँव में रहते हैं। बुजुर्ग हैं, बीमार हैं, लाचार हैं। पुत्र कुछ सहायता करने की बजाय पिता जी को एक पत्र लिखता है। कृपया ध्यान से पढ़ें और विचार करें कि किसको क्या लिखना चाहिए था ?                          *पुत्र का पत्र पिता के नाम* पूज्य पिताजी! आपके आशीर्वाद से आपकी भावनाओं/इच्छाओं के अनुरूप मैं अमेरिका में व्यस्त हूं। यहाँ पैसा, बंगला, साधन सब हैं नहीं है तो केवलसमय। मैं आपसे मिलना चाहता हूं आपके पास बैठकर बातें करना चाहता हूँ। आपके दुख दर्द को बांटना चाहता हूँ परन्तु क्षेत्र की दूरी बच्चों के अध्ययन की मजबूरी कार्यालय का काम करना जरूरी क्या करूँ? कैसे कहूँ? चाह कर भी स्वर्ग जैसी जन्म भूमि और माँ बाप के पास आ नहीं सकता। पिताजी।! मेरे पास अनेक सन्देश आते हैं - "माता-पिता सब कुछ बेचकर भी बच्चों को पढ़ाते हैं और बच्चेसबको छोड़ परदेस चले जाते हैं  पुत्र, माता-पिता के किसी काम नहीं आते हैं। " पर पिताजी मैं कहाँ जानता था इंजीनियरिंग क्या होती है? मैं कहाँ जानता था कि पैसे की कीमत क्या होती है? मुझे कहाँ पता था कि अमेरिका कहाँ है ? मेरा क

एक साथ मिलकर लड़िये अन्यथा वही होगा जो उपरोक्त कुआँ खोदने वालों का हुआ.

Image
*एक बार तथागत बुद्ध अपने शिष्यों के साथ जा रहे थे. रास्ते में कुछ गड्ढे खुदे पड़े थे और उनके अंन्दर नर कंकाल पड़े थे. उनको देखकर बुद्ध के शिष्य ने पूछा, "तथागत, इन गड्ढों में ये नर कंकाल क्यों पड़े हैं." तथागत चुप रहे. फिर कुछ दूर चलने के बाद वहाँ पर भी गड्ढों में नर कंकाल पड़े मिले. तथागत के शिष्य ने फिर पूछा, "तथागत, इन गड्ढों में नर कंकाल क्यों पड़े हैं?" तथागत बुद्ध ने कहा, "इन लोगों को प्यास लगी थी, इन लोगों ने कुआँ खोदना चाहा, लेकिन ये लोग अलग-अलग कुआँ खोदने में लग गए और कुआँ खोदते-खोदते ही मर गए. न तो उनको पानी मिला, न ही इनकी प्यास बुझी और कुआँ खोदते खोदते मर गये. यदि ये लोग एक साथ मिलकर एक कुआँ खोदते तो कुआँ भी खुदता, शक्ति भी कम लगती, इनकी प्यास भी बुझती और ये जिंदा भी रहते."* *आज ठीक इसी तरह  समाज के लोग अलग-अलग लड़ रहे हें और अपनी शक्ति को नष्ट कर रहे हैं, जिससे उनकी समस्यायें खत्म होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं. इसलिये एक साथ मिलकर लड़िये अन्यथा वही होगा जो उपरोक्त कुआँ खोदने वालों का हुआ.* .

एक बार समय निकालकर सोचें, शायद पुराना समय याद आ जाए, आंखें भर आएं और *आज को जी भर जीने का मकसद मिल जाए*।

*कुछ रह तो नहीं गया ?* 3 महीने के बच्चे को दाई के पास रखकर जॉब पर जाने वाली माँ को दाई ने पूछा... "कुछ रह तो नहीं गया...? पर्स, चाबी सब ले लिया ना...?" अब वो कैसे हाँ कहे..? पैसे के पीछे भागते भागते... सब कुछ पाने की ख्वाईश में वो जिसके लिये सब कुछ कर रही है, *वह ही रह गया है..* शादी में दुल्हन को बिदा करते ही शादी का हॉल खाली करते हुए दुल्हन की बुआ ने पूछा... "भैया, कुछ रह तो नहीं गया ना..? चेक करो ठीक से ।" .. बाप चेक करने गया तो दुल्हन के रूम में कुछ फूल सूखे पड़े थे। सब कुछ तो पीछे रह गया... 25 साल जो नाम लेकर जिसको आवाज देता था लाड़ से... वो नाम पीछे रह गया और उस नाम के आगे गर्व से जो नाम लगाता था, वो नाम भी पीछे रह गया अब... "भैया, देखा ? कुछ पीछे तो नहीं रह गया ?" बुआ के इस सवाल पर आँखों में आये आंसू छुपाते बाप जुबाँ से तो नहीं बोला.... पर दिल में एक ही आवाज थी... *सब कुछ तो यही रह गया...* बडी तमन्नाओं के साथ बेटे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था और वह पढ़कर वहीं सैटल हो गया.... पौत्र जन्म पर बमुश्किल 3 माह का वीजा मिला था और चलते वक्त बेटे ने प्रश्न कि

घरवाली का महत्व- तमाम ने वांचवालायक

घरवाली का महत्व " ये करो और वो करो " पेपर भी नीचे गिरा तो, " कितना घर फैलाते हो " इसीलिए सोचा चार दिन को, जाती हो तुम मायके आराम और सुख से, अकेला रहूँगा चैन से।। ख़ुशी ख़ुशी छोड़ा उसे, ट्रेन में दिया बिठाल। क्या सुनाऊँ मित्रों, तुमको अपना हाल।। सुबह जागने पर सोचा, सारा कचरा निकालूँ। कोना कोना ढूँढ लिया पर, मिला ना मुझको झाडू।। सोचा कचरा पड़ा रहन दो, दाँत घिसता हूँ बेस्ट। ब्रश तुरंत मिल गया, पता नहीं, कहाँ रख गई पेस्ट।। नहाने को गरम पानी, बढ़िया किया तैयार। टॉवल बाहर रह गया, किसे पुकारूँ यार।। मिलता नहीं पतीला, दूधवाला आया। यहाँ वहाँ सब ढूँढ लिया, ढक्कन ना मिल पाया।। गया बनाने चाय तो, नहीं मिल रही शक्कर। गैस जलाऊँ कैसे, बिगड़ गया है, लाइटर।। दोपहर के भोजन में, तेज हो गई भाजी। कड़क कड़क रोटी बनी, मन कैसे हो राजी।। चावल गीला हो गया, दाल बन गई पतली। हर कौर के साथ आँख से, आँसू की धारा निकली।। किटकिट किटकिट करती रानी, जब तुम घर में होतीं। लेकिन जीवन सूना लगता, पास नहीं जब तुम होतीं।। मैं अगर शिव हूँ, तो, तुम हो मेरी शक्ति। पूजा मेरी संग तुम्हारे, साथ साथ है भक्ति।। सहचारिणी हे प्

खुश रहने के लिए हमें भी एक दूसरे की कमियो के प्रति आखे बंद कर लेनी चाहिए.. और उन कमियो को नजरन्दाज कर देना चाहिए.

एक आदमी ने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की से शादी की। शादी के बाद दोनो की ज़िन्दगी बहुत प्यार से गुजर रही थी। वह उसे बहुत चाहता था और उसकी खूबसूरती की हमेशा तारीफ़ किया करता था। लेकिन कुछ महीनों के बाद लड़की चर्मरोग (skinDisease) से ग्रसित हो गई और धीरे-धीरे उसकी खूबसूरती जाने लगी। खुद को इस तरह देख उसके मन में डर समाने लगा कि यदि वह बदसूरत हो गई, तो उसका पति उससे नफ़रत करने लगेगा और वह उसकी नफ़रत बर्दाशत नहीं कर पाएगी। इस बीच एकदिन पति को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। काम ख़त्म कर जब वह घर वापस लौट रहा था, उसका accident हो गया। Accident में उसने अपनी दोनो आँखें खो दी। लेकिन इसके बावजूद भी उन दोनो की जिंदगी सामान्य तरीके से आगे बढ़ती रही। समय गुजरता रहा और अपने चर्मरोग के कारण लड़की ने अपनी खूबसूरती पूरी तरह गंवा दी। वह बदसूरत हो गई, लेकिन अंधे पति को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था। इसलिए इसका उनके खुशहाल विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह उसे उसी तरह प्यार करता रहा। एकदिन उस लड़की की मौत हो गई। पति अब अकेला हो गया था। वह बहुत दु:खी था. वह उस शहर को छोड़कर जाना चाहता था। उसने अंतिम संस्कार की