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Showing posts from May, 2017

दोनों की सुलह हो गयी और दोनों चले गए।

कानपुर  का मशहूर बाजार है.. माल रोड शाम के 5 बजे बाजार भीड़ से भरा हुआ था। इसी भीड़ में पति-पत्नी एक दूसरे से लड़ने में व्यस्त थे और लगभग 200  लोग उनके इस तमाशे का मज़ा ले रहे थे। बात कुछ यूँ थी कि पत्नी जिद कर रही थी अपने पति से कि आज आप कार खरीद ही लीजीये मैं थक गई हूं आपकी मोटर साइकिल पर बैठ बैठ कर।  पति ने कहा....... ओए पागल औरत तमाशा ना बना मेरा दुनिया के सामने।  मोटर साइकिल की चाभी मुझे दे। पत्नी- नहीं, तुम्हारे पास इतना पैसा है । आज कार लोगे तो ही घर जाऊंगी। पति-"अच्छा तो ले लूँगा अब चाभी दो" पत्नी - नहीं दूंगी। पति- "अच्छा ना दो मैं ताला ही तोड़ देता हूँ" पत्नी ने कहा.... तोड़ दो लेकिन ना चाभी मिलेगी ना में साथ जाऊँगी । पति - "अच्छा तो ये ले मैं ताला तोड़ने लगा हूँ जाओ तुम्हारी मर्ज़ी मेरे घर ना आना" पत्नी - जाओ जाओ नहीं आती तुम जैसे कंजूस के घर। पति ने लोगों की मदद से मोटरसाइकिल का ताला खोल लिया,  अपनी बाइक पर बैठ गया और बोला, "तुम आती हो या मैं जाऊँ" वहाँ खड़े लोगों ने पत्नी को समझाया -  चली जाओ इतनी सी बात पर अपना घर न खराब करो। फिर पत्

इस अनमोल मानव जीवन का हम सही इस्तेमाल करें

एक राजा का जन्म दिन था । सुबह जब वह घूमने निकला तो उसने तय किया कि वह रास्ते में मिलने वाले सबसे पहले व्यक्ति को आज पूरी तरह से खुश व सन्तुष्ट करेगा ।   उसे एक भिखारी मिला । भिखारी ने राजा सें भीख मांगी तो राजा ने भिखारी की तरफ एक तांबे का सिक्का उछाल दिया । सिक्का भिखारी के हाथ सें छूट कर नाली में जा गिरा । भिखारी नाली में हाथ डालकर तांबे का सिक्का ढूंढने लगा ।   राजा ने उसे बुलाकर दूसरा तांबे का सिक्का दे दिया । भिखारी ने खुश होकर वह सिक्का अपनी जेब में रख लिया और वापिस जाकर नाली में गिरा सिक्का ढूंढने लगा ।   राजा को लगा कि भिखारी बहुत गरीब है । उसने भिखारी को फिर बुलाया और चांदी का एक सिक्का दिया । भिखारी ने राजा की जय-जयकार करते हुये चांदी का सिक्का रख लिया और फिर नाली में तांबे वाला सिक्का ढूंढने लगा ।   राजा ने उसे फिर बुलाया और अब भिखारी को एक सोने का सिक्का दिया । भिखारी खुशी से झूम उठा और वापिस भागकर अपना हाथ नाली की तरफ बढाने लगा ।   राजा को बहुत बुरा लगा । उसे खुद से तय की गयी बात याद आ गयी कि "पहले मिलने वाले व्यक्ति को आज खुश एवं सन्तुष्ट करना है ।" उसने भिखारी

व्याकरण में विराम चिह्नों का इस्तेमाल क्या गुल खिला सकता है।

पत्नी का पत्र!              गांव में एक स्त्री थी । वह आपने पति को पत्र लिखना चाहती थी, पर अल्प शिक्षित होने के कारण उसे यह पता नहीं था कि पूर्णविराम (Full Stop) कहां लगेगा इसीलिये उसका जहां मन करता था वहीं पूर्णविराम लगा देती थी । तो एक बार उसने अपने पति को कुछ इस प्रकार चिठ्ठी लिखी: देखिए पूर्ण विराम का आतंक:-                मेरे प्यारे जीवनसाथी मेरा प्रणाम आपके चरणो मे।                    आप ने अभी तक चिट्टी नहीं लिखी मेरी सहेली को ।   नौकरी मिल गयी है हमारी गाय को ।  बछडा दिया है दादाजी ने ।  शराब की लत लगाली है मैने ।  तुमको बहुत खत लिखे पर तुम नहीं आये कुत्ते के बच्चे ।  भेड़िया खा गया दो महीने का राशन ।   छुट्टी पर आते समय ले आना एक खूबसूरत औरत ।  मेरी सहेली बन गई है ।  और इस समय टीवी पर गाना गा रही है हमारी बकरी ।  बेच दी गयी है तुम्हारी मां ।   तुमको बहुत याद कर रही है एक पडोसन ।   हमें बहुत तंग करती है। तुम्हारी चंदा । परिणाम:- व्याकरण में विराम चिह्नों का इस्तेमाल क्या गुल खिला सकता है।