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Showing posts from October, 2017

ठंडा रहा वह हीरा जो गरम हो गया वह काँच.

एक राजा का दरबार लगा हुआ था क्योंकि सर्दी का दिन था, इसलिये राजा का दरवार खुले मे बैठा था पूरी आम सभा सुबह की धूप मे बैठी थीl महाराज ने सिंहासन के सामने एक टेबल जैसी कोई कीमती चीज रखी थी पंडित लोग दीवान आदि सभी दरवार मे बैठे थे राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे उसी समय एक व्यक्ति आया और प्रवेश मागा। प्रवेश मिल गया तो उसने कहा मेरे पास दो वस्तुए है मै हर राज्य के राजा के पास जाता हूँ और अपनी बात रखता हूँ। कोई परख नही पाता सब हार जाते हैंं और मै विजेता बनकर घूम रहा हूँ। अब आपके नगर मे आया हूँ। राजा ने बुलाया और कहा क्या बात है। तब उसने दोनो वस्तुये टेबल पर रख दी बिल्कुल समान आकार, समान रुप रंग, समान प्रकाश सब कुछ नख सिख समान। राजा ने कहा ये दोनो वस्तुए एक है। तब उस व्यक्ति ने कहा हाँ दिखाई तो एक सी देती हैं लेकिन हैं भिन्न। इनमे से एक है बहुत कीमती हीरा है और एक है काँच का टुकडा। लेकिन रूप रंग सब एक है। कोइ आज तक परख नही पाया की कौन सा हीरा है और कौन सा काँच। कोइ परख कर बताये की ये हीरा है या ये काँच। अगर परख खरी निकली तो मे हार जाउँगा और यह कीमती हीरा मै आपके राज्य की तिजोरी मे जमा करव

आखिर गुरु गुरु ही होता है

एक रात, चार कॉलेज  विद्यार्थी देर तक मस्ती करते रहे  और जब होश आया तो अगली सुबह होने वाली परीक्षा का भूत उनके सामने आकर खड़ा हो गया। परीक्षा से बचने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई। मैकेनिकों जैसे गंदे और फटे पुराने कपड़े पहनकर वे प्रिंसिपल के सामने जा खड़े हुए और उन्हें अपनी दुर्दशा की जानकारी दी। उन्होंने प्रिंसिपल को बताया कि कल रात वे चारों एक दोस्त की शादी में गए हुए थे। लौटते में गाड़ी  का टायर पंक्चर हो गया। किसी तरह धक्का लगा-लगाकर गाड़ी को यहां तक लाए हैं। इतनी थकान है कि बैठना भी संभव नहीं दिखता, पेपर हल करना तो दूर की बात है। यदि प्रिंसिपल साहब उन चारों की परीक्षा आज के बजाय किसी और दिन ले लें तो बड़ी मेहरबानी होगी। प्रिंसिपल साहब बड़ी आसानी से मान गए। उन्होंने तीन दिन बाद का समय दिया। विद्यार्थियों ने प्रिंसिपल साहब को धन्यवाद  दिया और जाकर परीक्षा की तैयारी में लग गए। तीन दिन बाद जब वे परीक्षा  देने पहुंचे तो प्रिंसिपल ने बताया कि यह विशेष परीक्षा केवल उन चारों के लिए ही आयोजित की गई है। चारों को अलग-अलग कमरों में बैठना होगा। चारों विद्यार्थी अपने-अपने नियत कमरों में जाकर बैठ गए।

मैं चोर हूँ , सपनों का सौदागर नहीं। ''

रात में एक चोर घर में घुसl । कमरे का दरवाजा खोला तो बरामदे पर एक बूढ़ी औरत सो रही थी। खटपट से उसकी आंख खुल गई। चोर ने घबरा कर देखा तो वह लेटे लेटे बोली '' बेटा, तुम देखने से किसी अच्छे घर के लगते हो, लगता है किसी परेशानी से मजबूर होकर इस रास्ते पर लग गए हो। चलो कोई बात नहीं। अलमारी के तीसरे बक्से में एक तिजोरी है । इसमें का सारा माल तुम चुपचाप ले जाना। मगर पहले मेरे पास आकर बैठो, मैंने अभी-अभी एक ख्वाब देखा है । वह सुनकर जरा मुझे इसका मतलब तो बता दो।" चोर उस बूढ़ी औरत की रहमदिली से बड़ा अभिभूत हुआ और चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया। बुढ़िया ने अपना सपना सुनाना शुरु किया ''बेटा, मैंने देखा कि मैं एक रेगिस्तान में खो गइ हूँ। ऐसे में एक चील मेरे पास आई और उसने 3 बार जोर जोर से बोला अभिलाष!  अभिलाष!  अभिलाष !!! बस फिर ख्वाब खत्म हो गया और मेरी आंख खुल गई। जरा बताओ तो इसका क्या मतलब हुई? '' चोर सोच में पड़ गया। इतने में बराबर वाले कमरे से बुढ़िया का नौजवान बेटा अभिलाष अपना नाम ज़ोर ज़ोर से सुनकर उठ गया और अंदर आकर चोर की जमकर धुनाई कर दी। बुढ़िया बोली ''बस

सकारात्मक सोच हमारी समस्यों को हल करती है।

एक बार की बात है किसी राज्य में एक राजा था जिसकी केवल एक टाँग और एक आँख थी। उस राज्य में सभी लोग खुशहाल(Happy and Rich) थे क्यूंकि राजा बहुत बुद्धिमान और प्रतापी था। एक बार राजा के विचार आया कि क्यों खुद की एक तस्वीर बनवायी जाये। फिर क्या था, देश विदेशों से चित्रकारों को बुलवाया गया और एक से एक बड़े चित्रकार(Painters) राजा के दरबार में आये। राजा ने उन सभी से हाथ जोड़कर आग्रह किया कि वो उसकी एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनायें जो राजमहल में लगायी जाएगी। सारे चित्रकार सोचने लगे कि राजा तो पहले से ही विकलांग है फिर उसकी तस्वीर को बहुत सुन्दर कैसे बनाया जा सकता है, ये तो संभव ही नहीं है और अगर तस्वीर सुन्दर नहीं बनी तो राजा गुस्सा होकर दंड देगा। यही सोचकर सारे चित्रकारों ने राजा की तस्वीर बनाने से मना कर दिया। तभी पीछे से एक चित्रकार ने अपना हाथ खड़ा किया और बोला कि मैं आपकी बहुत सुन्दर तस्वीर बनाऊँगा जो आपको जरूर पसंद आएगी। फिर चित्रकार जल्दी से राजा की आज्ञा लेकर तस्वीर बनाने में जुट गया। काफी देर बाद उसने एक तस्वीर तैयार की जिसे देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और सारे चित्रकारों ने अपने दातों तले उंग

फिलहाल अपनी कानो को खुस रखिये.

एक बार राजा के दरबार मै एक फ़कीर गाना गाने जाता है फ़कीर बहुत अच्छा गाना गाता है। राजा कहते हैं इसे खूब सारा सोना दे दो। फ़कीर और अच्छा गाता है। राजा कहते हैं इसे हीरे जवाहरात भी दे दो। फकीर और अच्छा गाता है।राजा कहते हैं इसे असरफियाँ भी दे दो। फ़कीर और अच्छा गाता है।राजा कहते हैं इसे खूब सारी ज़मीन भी दे दो। फ़कीर गाना गा कर घर चला जाता है। और अपने बीबी बच्चों से कहता है  आज  हमारे राजा  ने गाने का खूब सारा इनाम दिया। हीरे जवाहरात सोना ज़मीन असरफियाँ बहुत कुछ दिया। सब बहुत खुश होते हैं कुछ दिन बीते फ़कीर को अभी तक राजा द्वारा मिलने वाला इनाम नही पहुँचा था फ़कीर राजा के दरवार में फिर पहुँचा कहने लगा राजाजी आप के द्वारा दिया गया इनाम मुझे अभी तक नहीं मिला। राजा कहते हैं ..,,, अरे फ़कीर ये लेन देन की बात क्या करता है। तू मेरे कानों को खुश करता रहा और मैं तेरे कानों  को खुश करता रहा। फिलहाल अपनी कानो को खुस रखिये

*प्रभु को चाहना और प्रभु से चाहना..दोनों में बहुत अंतर है।।*

 *सच्चा प्रेम* एक नगर के राजा ने यह घोषणा करवा दी कि कल जब मेरे महल का मुख्य दरवाज़ा खोला जायेगा.. तब जिस व्यक्ति ने जिस वस्तु को हाथ लगा दिया वह वस्तु उसकी हो जाएगी.. इस घोषणा को सुनकर सब लोग आपस में बातचीत करने लगे कि मैं अमुक वस्तु को हाथ लगाऊंगा.. कुछ लोग कहने लगे मैं तो स्वर्ण को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग कहने लगे कि मैं कीमती जेवरात को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग घोड़ों के शौक़ीन थे और कहने लगे कि मैं तो घोड़ों को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग हाथीयों को हाथ लगाने की बात कर रहे थे, कुछ लोग कह रहे थे कि मैं दुधारू गौओं को हाथ लगाऊंगा.. कल्पना कीजिये कैसा अद्भुत दृश्य होगा वह !! उसी वक्त महल का मुख्य दरवाजा खुला और सब लोग अपनी अपनी मनपसंद वस्तु को हाथ लगाने दौड़े.. सबको इस बात की जल्दी थी कि पहले मैं अपनी मनपसंद वस्तु को हाथ लगा दूँ ताकि वह वस्तु हमेशा के लिए मेरी हो जाएँ और सबके मन में यह डर भी था कि कहीं मुझ से पहले कोई दूसरा मेरी मनपसंद वस्तु को हाथ ना लगा दे.. राजा अपने सिंघासन पर बैठा सबको देख रहा था और अपने आस-पास हो रही भाग दौड़ को देखकर मुस्कुरा रहा था.. उसी समय उस भीड़ में से एक छोटी सी लड़की

*बुद्धिमान है तभी उसे दिखाई दी थी मैं मुर्ख हूँ*

एक राजा था उसके यहाँ एक दिन 2 दर्जी आये उन्होंने ने कहा की हम स्वर्ग से धागा लाकर पोशाक बनाते है जिसे देवता पहनते है राजा ने कहा एक पोशाक मेरे लिए बनाओ मुँह माँगा इनाम मिलेगा दर्जी ने कहा ठीक है 50 दिन का टाइम दो और इस पोशाक की एक खास बात है ये मूर्खों को नहीं दिखेगी राजा और भी खुश ऐसे तो हम अपने राज्य के मूर्खों की भी पहचान कर लेंगे दोनों ने पोशाक एक बंद कमरे में बनाना शुरू कर दी देर रात तक वो कटर पटर करते रहते थे एक दिन राजा ने मंत्री को भेजा कहा देखो कैसी पोशाक बन रही है मंत्री कमरे के अंदर गया जाते ही एक ने कहा देखो मंत्री कितना सुन्दर रेशा है पर मंत्री को कुछ दिखाई न दिया उसे वो बात याद आई की मुर्ख को ये पोशाक दिखाई न देगी मंत्री ने भी कहा हां बहुत सुन्दर है और आकर राजा को बताया बहुत सुन्दर बन रही है आपकी पोशाक, राजा बहुत खुश् हुआ एक दिन राजा भी गया देखने उसे भी कुछ न दिखाई दिया पर चुप रहा और मन में सोचा लगता मंत्री हमसे ज्यादा बुद्धिमान है तभी उसे दिखाई दी थी मैं मुर्ख हूँ इस प्रकार राजा चुप रहा पोशाक बनकर तैयार हो गयी दोनों दर्जियों ने कहा कल हम जनता के सामने ये पोशाक पहनाएंगे फ

*गुरु तो गुरु ही होते हैं। उन्हें किन्ही परिस्थिति में आंखें नहीं दिखाई जातीं*

एक गुरू ने अपने शिष्य को तलवारबाज़ी की सारी विद्या सीखा दी। गुरू बूढ़ा हो गया था, शिष्य जवान। किसी ज़माने में गुरू का लोहा पूरा गांव मानता था, पर आज शिष्य ही उन्हें चैलेंज करने लगा था। वो जगह-जगह घूम कर लोगों से कहता था कि उनका गुरू तो कुछ भी नहीं। आज इस गांव में क्या, आस-पास के कई गांवों में उस से बड़ा कोई तलवारबाज़ नहीं। लोगों से इतना कहने तक में कोई बड़ी बात नहीं थी। पर  अहंकार इतना सिर चढ़ गया  जब शिष्य ने खुलेआम गुरु को चैलेंज कर दिया कि या तो मैदान में आकर मुकाबला करो या फिर गुरूअई छोड़ो। सबने बहुत समझाया कि गुरू से ऐसा व्यवहार ठीक नहीं। पर किसका अहंकार समझा है, जो उस शिष्य का समझता। पुत्र रूपी जिस शिष्य को उन्होंने सबकुछ सिखाया, आज वही चैलेंज कर रहा है। न चाहते हुए भी आख़िर गुरू को अपने शिष्य के साथ तलवारबाज़ी के उस चैलेंज को स्वीकार करना पड़ा। पूरा गांव जानता था गुरू बूढ़े हो गए हैं और शिष्य की ताकत के आगे वो मिनट भर भी नहीं टिकेंगे। पर गुरू ने चुनौती को स्वीकार कर लिया तो कर लिया। शिष्य का माथा ठनका कि ये बुड्ढा गुरू चैलेंज स्वीकार कर चुका है, मतलब उसने कोई न कोई विद्या छिपा क

हर समस्या का उचित इलाज आपकी ''आत्मा'' की आवाज है!

एक राजा ने बहुत ही सुंदर ''महल'' बनावाया और महल के मुख्य द्वार पर एक ''गणित का सूत्र'' लिखवाया और एक घोषणा की कि इस सूत्र से यह 'द्वार खुल जाएगा और जो भी इस ''सूत्र'' को ''हल'' कर के ''द्वार'' खोलेगा में उसे अपना उत्तराधीकारी घोषित कर दूंगा। राज्य के बड़े बड़े गणितज्ञ आये और सूत्र देखकर लोट गए, किसी को कुछ समझ नहीं आया। आख़री दिन आ चुका था उस दिन 3 लोग आये और कहने लगे हम इस सूत्र को हल कर देंगे। उसमे 2 तो दूसरे राज्य के बड़े गणितज्ञ अपने साथ बहुत से पुराने गणित के सूत्रो की पुस्तकों सहित आये। लेकिन एक व्यक्ति जो ''साधक'' की तरह नजर आ रहा था सीधा साधा कुछ भी साथ नहीं लाया था। उसने कहा मै यहां बैठा हूँ पहले इन्हें मौक़ा दिया जाए। दोनों गहराई से सूत्र हल करने में लग गए लेकिन द्वार नहीं खोल पाये और अपनी हार मान ली। अंत में उस साधक को बुलाया गया और कहा कि आपका सूत्र हल करिये समय शुरू हो चुका है। साधक ने आँख खोली और सहज मुस्कान के साथ 'द्वार' की ओर गया। साधक ने धीरे से द्वार को धकेला और यह

जो आहार और आश्रय को ही परम गति मानते हैं और अंत में अनन्त संसार रूपी सागर में समा जाते है।

एक बार एक नदी में हाथी की लाश बही जा रही थी। एक कौए ने लाश देखी, तो प्रसन्न हो उठा, तुरंत उस पर आ बैठा। यथेष्ट मांस खाया। नदी का जल पिया। उस लाश पर इधर-उधर फुदकते हुए कौए ने परम तृप्ति की डकार ली। वह सोचने लगा, अहा! यह तो अत्यंत सुंदर यान है, यहां भोजन और जल की भी कमी नहीं। फिर इसे छोड़कर अन्यत्र क्यों भटकता फिरूं? कौआ नदी के साथ बहने वाली उस लाश के ऊपर कई दिनों तक रमता रहा। भूख लगने पर वह लाश को नोचकर खा लेता, प्यास लगने पर नदी का पानी पी लेता। अगाध जलराशि, उसका तेज प्रवाह, किनारे पर दूर-दूर तक फैले प्रकृति के मनोहरी दृश्य-इन्हें देख-देखकर वह विभोर होता रहा। नदी एक दिन आखिर महासागर में मिली। वह मुदित थी कि उसे अपना गंतव्य प्राप्त हुआ। सागर से मिलना ही उसका चरम लक्ष्य था, किंतु उस दिन लक्ष्यहीन कौए की तो बड़ी दुर्गति हो गई। चार दिन की मौज-मस्ती ने उसे ऐसी जगह ला पटका था, जहां उसके लिए न भोजन था, न पेयजल और न ही कोई आश्रय। सब ओर सीमाहीन अनंत खारी जल-राशि तरंगायित हो रही थी। कौआ थका-हारा और भूखा-प्यासा कुछ दिन तक तो चारों दिशाओं में पंख फटकारता रहा, अपनी छिछली और टेढ़ी-मेढ़ी उड़ानों से झ

नर पर नारी भारी- *हास्य कविता*

*हास्य कविता* अक्ल बाटने लगे विधाता,              लंबी लगी कतारी । सभी आदमी खड़े हुए थे,             कहीं नहीं थी नारी । सभी नारियाँ कहाँ रह गई,           था ये अचरज भारी । पता चला ब्यूटी पार्लर में,           पहुँच गई थी सारी। मेकअप की थी गहन प्रक्रिया,            एक एक पर भारी । बैठी थीं कुछ इंतजार में,           कब आएगी बारी । उधर विधाता ने पुरूषों में,          अक्ल बाँट दी सारी । ब्यूटी पार्लर से फुर्सत पाकर,         जब पहुँची सब नारी । बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है,         नहीं अक्ल अब बाकी । रोने लगी सभी महिलाएं ,         नींद खुली ब्रह्मा की । पूछा कैसा शोर हो रहा है,          ब्रह्मलोक के द्वारे ? पता चला कि स्टॉक अक्ल का          पुरुष ले गए सारे । ब्रह्मा जी ने कहा देवियों ,           बहुत देर कर दी है । जितनी भी थी अक्ल वो मैंने,           पुरुषों में भर दी है । लगी चीखने महिलाये ,          ये कैसा न्याय तुम्हारा? कुछ भी करो हमें तो चाहिए,           आधा भाग हमारा । पुरुषो में शारीरिक बल है,           हम ठहरी अबलाएं । अक्ल हमारे लिए जरुरी ,          निज रक्षा कर पाएं । सोचकर दा

पुरी कायनात मे सिर्फ नारी के पास ही है जो कल्पवृक्ष से कम नही है।

*बेटी...* एक बेटी ने अपने पिता से एक प्यारा सा सवाल किया कि पापा ये आंगन मे जो पेड़ है, उसे पीछे वाले बगीचे मे लगा दे तो ? पिता असमंजस मे और बोले बेटी ये चार साल पुराना पेड़ है नई जगह, नई मिट्टी मे ढल पाना मुश्किल होगा । तब बेटी ने जलभरी आंखो से पिता से सवाल किया कि एक पौधा और भी तो है आपके आंगन का जो बाईस बरस पुराना है क्या वो नई जगह पर ढल पाएगा ? पिता बेटी की बात पर सोचते हुए कहा कि यह शक्ति पुरी कायनात मे सिर्फ नारी के पास ही है जो कल्पवृक्ष से कम नही है। खुद नए माहौल मे ढलकर औरो कि सेवा करती है । ताउम्र उनके लिए जीती है । बेटी से ही मां, बहन व पत्नि है ।

दोस्तों परिवार है तो जीवन मे हर खुशी

*" संस्कार "* एक पार्क मे दो बुजुर्ग बैठे बातें कर रहे थे.... पहला :- मेरी एक पोती है, शादी के लायक है... BE किया है, नौकरी करती है, कद - 5"2 इंच है.. सुंदर है कोई लडका नजर मे हो तो बताइएगा.. दूसरा :- आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिए...?? पहला :- कुछ खास नही.. बस लडका ME /M.TECH किया हो, अपना घर हो, कार हो, घर मे एसी हो, अपने बाग बगीचा हो, अच्छा job, अच्छी सैलरी, कोई लाख रू. तक हो... दूसरा :- और कुछ... पहला :- हाँ सबसे जरूरी बात.. अकेला होना चाहिए.. मां-बाप,भाई-बहन नही होने चाहिए.. वो कया है लडाई झगड़े होते है... दूसरे बुजुर्ग की आँखें भर आई फिर आँसू पोछते हुए बोला - मेरे एक दोस्त का पोता है उसके भाई-बहन नही है, मां बाप एक दुर्घटना मे चल बसे, अच्छी नौकरी है, डेढ़ लाख सैलरी है, गाड़ी है बंगला है, नौकर-चाकर है.. पहला :- तो करवाओ ना रिश्ता पक्का.. दूसरा :- मगर उस लड़के की भी यही शर्त है की लडकी के भी मां-बाप,भाई-बहन या कोई रिश्तेदार ना हो... कहते कहते उनका गला भर आया.. फिर बोले :- अगर आपका परिवार आत्महत्या कर ले तो बात बन सकती है.. आपकी पोती की शादी उससे हो जाएगी और वो बहुत

हम कोई गलती तो नहीं कर रहे हैं.

*सोचने की बात...* पुत्र अमेरिका में जॉब करता है। उसके माँ बाप गाँव में रहते हैं। बुजुर्ग हैं, बीमार हैं, लाचार हैं। पुत्र कुछ सहायता करने की बजाय पिता जी को एक पत्र लिखता है। कृपया ध्यान से पढ़ें और विचार करें कि क्या पुत्र को यह लिखना चाहिए था ? *पुत्र का पत्र पिता के नाम* पूज्य पिताजी! आपके आशीर्वाद से आपकी भावनाओं/इच्छाओं के अनुरूप मैं अमेरिका में व्यस्त हूं। यहाँ पैसा, बंगला, साधन सब हैं, नहीं है तो केवल समय। मैं आपसे मिलना चाहता हूं, आपके पास बैठकर बातें करना चाहता हूँ । आपके दुख दर्द को बांटना चाहता हूँ परन्तु क्षेत्र की दूरी, बच्चों के अध्ययन की मजबूरी, कार्यालय का काम करना जरूरी, क्या करूँ ? कैसे कहूँ ? चाह कर भी स्वर्ग जैसी जन्म भूमि और माँ बाप के पास आ नहीं सकता। पिताजी ! मेरे पास अनेक सन्देश आते हैं - "माता-पिता सब कुछ बेचकर भी बच्चों को पढ़ाते हैं और बच्चे सबको छोड़ परदेस चले जाते हैं, नालायक पुत्र, माता-पिता के किसी काम नहीं आते हैं। " पर पिताजी... मैं कहाँ जानता था इंजीनियरिंग क्या होती है? मैं कहाँ जानता था कि पैसे की कीमत क्या होती है? मुझे कहाँ पता

इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान कौन है ???

बूढ़ा पिता अपने IAS बेटे के चेंबर में  जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा हो गया ! और प्यार से अपने पुत्र से पूछा... "इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है"? पुत्र ने पिता को बड़े प्यार से हंसते हुए कहा "मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी "! पिता को इस जवाब की  आशा नहीं थी, उसे विश्वास था कि उसका बेटा गर्व से कहेगा पिताजी इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान आप हैैं, जिन्होंने मुझे इतना योग्य बनाया ! उनकी आँखे छलछला आई ! वो चेंबर के गेट को खोल कर बाहर निकलने लगे ! उन्होंने एक बार पीछे मुड़ कर पुनः बेटे से पूछा एक बार फिर बताओ इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान कौन है ??? पुत्र ने  इस बार कहा        "पिताजी आप हैैं, इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान "! पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो " ??? पुत्र ने हंसते हुए उन्हें अपने सामने बिठाते  हुए कहा "पिताजी उस समय आप का हाथ मेरे कंधे पर था, जिस पुत्र के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ हो वो पुत्र तो दुनिया क

अक्सर समस्या होती हमारे साथ है और हम ढूँढते दूसरे में है

जोक का बाप है पूरा पढ़ना एक जिम्मेदार पति डॉक्टर के पास गया और कहा कि डॉक्टर साहब मेरी बीबी बहरी हो गयी है, मैं कमरे से आवाज़ लगाते रहता हूँ पर वो सुन नहीं पाती है ..!! डॉक्टर – आप उन्हें यहाँ ले आइये ! पति : नहीं डॉक्टर साहब, मै उससे बहुत प्यार करता हूं और इस बारे में उसे कुछ भी नहीं बताना चाहता, आप कोई दवा दे दीजिये, जिसे मैं उसे बिना कुछ कहे खिला दू… डॉक्टर : ठीक है, पहले आप एक टेस्ट कीजिये … आप 40 फ़ीट दूर से पूछिये यदि वो नहीं सुन पाये तो फिर 30 फ़ीट दूर से कुछ पूछिये… फिर भी नहीं सुन पाये तो 20 फ़ीट …. फिर 10 फ़ीट… तब आप आ के मुझसे मिलियेगा, उस हिसाब से मैं उनके लिए दवाईयां प्रिस्क्राइब करूँगा..!! पति खुश हो कर रात को घर में जाता है, बीबी किचन में खाना बना रही होती है… पति 40 फ़ीट से पूछता है… डार्लिंग आज खाने में क्या बना रही हो ???? बीबी जवाब नहीं देती… 30 फ़ीट से, स्वीटी आज खाने में क्या बना है ???? कोई जवाब नही मिलता…. 20 फ़ीट से, जानू आज खाने में क्या बना है ???? नो रिस्पॉन्स… 10 फ़ीट से, डार्लिंग आज खाने में क्या है ???? फिर भी कोई जवाब नहीं तो पति एकदम से पीछे चिपक के उससे प

प्रेरक कथा- "ये कोई साधारण पैकेट नहीं है..!"

"प्रेरक कथा" एक मित्र नेअपनी बीवी की अलमारी खोली और एक सुनहरे कलर का पेकेट निकाला, उसने कहा कि "ये कोई साधारण पैकेट नहीं है..!" उसने पैकेट खोला और उसमें रखी बेहद खूबसूरत सिल्क की साड़ी और उसके साथ की ज्वेलरी को एकटक देखने लगा। ये हमने लिया था 8-9 साल पहले, जब हम पहली बार न्युयार्क गए थे, परन्तु उसने ये कभी पहनी नहीं क्योंकि वह इसे किसी खास मौके पर पहनना चाहती थी, और इसलिए इसे बचा कर रखा था। उसने उस पैकेट को भी दूसरे और कपड़ों के साथ अपनी बीवी की अर्थी के पास रख दिया, उसकी बीवी की मृत्यु अभी अचानक ही हुई थी। उसने रोते हुए मेरी और देखा और कहा- किसी भी खास मौके के लिए कभी भी कुछ भी मत बचा के रखना, जिंदगी का हर एक दिन खास मौका है, कल का कुछ भरोसा नहीं है। मुझे लगता है, उसकी उन बातों ने मेरी जिंदगी बदल दी। मित्रों अब मैं किसी बात की ज्यादा चिंता नहीं करता, अब मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताता हूँ, और काम का कम टेंशन लेता हूँ। मुझे अब समझ में आ चुका है कि जिंदगी जिंदादिली से जीने का नाम है, डर-डर के, रूक-रूक के बहुत ज्यादा विचार करके चलने में समय आगे निकल जाता है,

भगवान की अनमोल देंन हैं ये बेटियां

_पापा देखो मेंहदी वाली_         मुझे मेंहदी लगवानी है "पाँच साल की बेटी बाज़ार में बैठी मेंहदी वाली को देखते ही मचल गयी... "कैसे लगाती हो मेंहदी "पापा नें सवाल किया... "एक हाथ के पचास दो के सौ ...? मेंहदी वाली ने जवाब दिया. पापा को मालूम नहीं था मेंहदी लगवाना इतना मँहगा हो गया है. "नहीं भई एक हाथ के बीस लो वरना हमें नहीं लगवानी." यह सुनकर बेटी नें मुँह फुला लिया. "अरे अब चलो भी ,नहीं लगवानी इतनी मँहगी मेंहदी" पापा के माथे पर लकीरें उभर आयीं . "अरे लगवाने दो ना साहब..अभी आपके घर में है तो आपसे लाड़ भी कर सकती है... कल को पराये घर चली गयी तो पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं. तब आप भी तरसोगे बिटिया की फरमाइश पूरी करने को... मेंहदी वाली के शब्द थे तो चुभने वाले पर उन्हें सुनकर पापा को अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी..? जिसकी शादी उसने तीन साल पहले एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी. उन्होंने पहले साल से ही उसे छोटी छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था. दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर उनका पेट बढ़ता ही चला गया और अंत

बेटी शादी के मंडप में .. या ससुराल जाने पर ....पराई नहीं लगती.

बेटी शादी के मंडप में ... या ससुराल जाने पर ..... पराई नहीं लगती. जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद बेसिन के पास टंगे नैपकिन के बजाय अपने बैग के छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है. जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी ठिठक जाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है. जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है. जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है. जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है..... और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई सी लगती है. लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद जब वह चुपके से अपनी कोर सुखाने की कोशिश करती है तो वह परायापन एक झटके में बह जाता है ... Dedicate to all Girls.. नहीं चाहिए हिस्सा भइया मेरा मायका सजाए रखना राखी भैयादूज पर मेरा इंतजार बनाए रखना कुछ ना देना मुझको चाहे ब

धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही ;सफल जीवन कहते हैं.!

एक बेटे ने पिता से पूछा : पापा ये 'सफल जीवन' क्या होता है ? पिता, बेटे को पतंग उड़ाने ले गए।  बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था... थोड़ी देर बाद बेटा बोला ; पापा.. ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !!  ये और ऊपर चली जाएगी... पिता ने धागा तोड़ दिया .. पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आइ और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...। तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया : बेटा.. 'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं.. हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं...   जैसे :             घर,           परिवार,         अनुशासन,         माता-पिता,          गुरू आदि और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं... वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.. इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो  बिन धागे की पतंग का हुआ...' *"अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना.."* *"धागे और प

*माँ बाप एकाकी जीवन जीरहे हैं और बेटा सफलता और दौलतकी चकाचौंध में खो कर सब कुछ भूल चुका है ।*

पापा पापा मुझे चोट लग गई खून आ रहा है 5 साल के बच्चे के मुँह से सुनना था कि पापा सब कुछ छोड़ छाड़  कर गोदी में उठाकर एक किलो मीटर की दूरी पर क्लिनिक तक भाग भाग कर ही पहुँच गए दुकान कैश काउंटर सब नौकर के भरोसे छोड़ आये सीधा  डाक्टर के केबिन में दाखिल होते हुए  डॉक्टर को बोले देखिये देखिये डॉक्टर मेरे बेटे को क्या हो गया डॉक्टर साहब ने देखते हुए कहा अरे भाई साहब घबराने की कोई बात है मामूली चोट है.... ड्रेसिंग कर दी है ठीक हो जायेगी। डॉक्टर साहब कुछ पेन किलर लिख देते दर्द कम हो जाता ।  अच्छी से अच्छी दवाईया लिख देते ताकि जल्दी ठीक हो जाये घाव भर जाये *डाक्टर* अरे भाई साहब क्यों इतने चिंतित हो रहे हो कुछ नहीं हुआ है 3-4दिन में ठीक हो जायेगा पर डॉक्टर साहब  इसको रात को नींद तो आजायेगी ना । *डॉक्टर* अरे हाँ भाई हाँ निश्चित  रहो ।  बच्चे को लेकर लौटे तो नौकर बोला सेठ जी  आपका ब्रांडेड  महंगा शर्ट खराब हो गया खून लग गया अब ये दाग नही निकलेंगे *भाई साहब* कोई नहीं ऐसे शर्ट बहुत आएंगे जायेंगे मेरे बेटे का खून बह गया वो चिंता खाये जा रही है कमजोर नहीं  हो जाये । तू जा एक काम  कर थोड़े  सूखे मेवे फ्रूट

*आप मेरे पिता को कब से जानते हैं ?*

एक बेटा अपने बूढ़े पिता को वृद्धाश्रम एवं अनाथालय में छोड़कर वापस लौट रहा था; उसकी पत्नी ने उसे यह सुनिश्चत करने के लिए फोन किया कि पिता त्योहार वगैरह की छुट्टी में भी वहीं रहें! घर ना चले आया करें ! बेटा पलट के गया तो पाया कि उसके पिता वृद्धाश्रम के प्रमुख के साथ ऐसे घलमिल कर बात कर रहे हैं जैसे बहुत पुराने और प्रगाढ़ सम्बंध हों…तभी उसके पिता अपने कमरे की व्यवस्था देखने के लिए वहाँ से चले गए..अपनी उत्सुकता शांत करने के लिए बेटे ने अनाथालय प्रमुख से पूँछ ही लिया…“आप मेरे पिता को कब से जानते हैं ? ”मुस्कुराते हुए वृद्ध ने जवाब दिया…“पिछले तीस साल से…जब वो हमारे पास एक अनाथ बच्चे को गोद लेने आए थे! ”

*अंगूठी चोरी हो गई* - आधी रोटी का कर्ज..

अंगूठी चोरी हो गई पत्नी बार बार मां पर इल्जाम लगाए जा रही थी...... और पति बार बार उसको अपनी हद में रहने की कह रहा था लेकिन पत्नी चुप होने का नाम ही नही ले रही थी व् जोर जोर से चीख चीखकर कह रही थी कि "उसने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी और तुम्हारेऔर मेरे अलावा इस कमरें मे कोई नही आया अंगूठी हो ना हो मां जी ने ही उठाई है। ।बात जब पति की बर्दाश्त के बाहर हो गई तो उसने पत्नी के गाल पर एक जोरदार तमाचा देमारा अभी तीन महीने पहले ही तो शादी हुई थी । पत्नी से तमाचा सहन नही हुआ वह घर छोड़कर जाने लगी और जाते जाते पति से एक सवाल पूछा कि तुमको अपनी मां पर इतना विश्वास क्यूं है..?? तब पति ने जो जवाब दिया उस जवाब को सुनकर दरवाजे के पीछे खड़ी मां ने सुना तो उसका मन भर आया पति ने पत्नी को बताया कि "जब वह छोटा था तब उसके पिताजी गुजर गए . मां मोहल्ले के घरों मे झाडू पोछा लगाकर जो कमा पाती थी उससे एक वक्त का खाना आता था मां एक थाली में मुझे परोसा देती थी और खाली डिब्बे को ढककर रख देती थी और कहती थी मेरी रोटियां इस डिब्बे में है बेटा तू खा ले मैं भी हमेशा आधी रोटी खाकर कह देता था कि मां मेरा पेट भर गय

*संगठन...समाज* और *परिवार* से अलग होने पर हमारी कीमत......आधे से भी कम रह जाती है।

*आज एक नई सीख़ मिली* जब अँगूर खरीदने बाजार गया । पूछा *"क्या भाव है?* बोला : *"80 रूपये किलो ।"* पास ही कुछ अलग-अलग टूटे हुए अंगूरों के दाने पडे थे । मैंने पूछा: *"क्या भाव है" इनका ?"* वो बोला : *"30 रूपये किलो"* मैंने पूछा : "इतना कम दाम क्यों..? वो बोला : "साहब, हैं तो ये भी बहुत बढीया..!! लेकिन ... *अपने गुच्छे से टूट गए हैं ।"* मैं समझ गया कि ... *संगठन...समाज* और *परिवार* से अलग होने पर हमारी कीमत......आधे से भी कम रह जाती है। कृपया अपने *परिवार*संगठन*  एवम्* *मित्रो*से हमेशा जुड़े रहे ||

दिल से मुस्कुराने के लिए जीवन में पुल की जरुरत होतीं हैं

छोटी-छोटी बातों पर अपनों से न रूठें। . दो भाई साथ-साथ खेती करते थे। मशीनों की भागीदारी और चीजों का व्यवसाय किया करते थे। चालीस साल के साथ के बाद एक छोटी-सी ग़लतफहमी की वजह से उनमें पहली बार झगडा हो गया था, झगडा दुश्मनी में बदल गया था। एक सुबह एक बढई बड़े भाई से काम मांगने आया। बड़े भाई ने कहा “हाँ ,मेरे पास तुम्हारे लिए काम हैं। उस तरफ देखो, वो मेरा पडोसी हैं, यूँ तो वो मेरा भाई हैं, पिछले हफ्ते तक हमारे खेतों के बीच घास का मैदान हुआ करता था। परंतु मेरा भाई बुलडोजर ले आया और अब हमारें खेतों के बीच ये खाई खोद दी, जरुर उसने मुझे परेशान करने के लिए ये सब किया हैं। अब मुझे उसे मजा चखाना हैं, तुम खेत के चारों तरफ़ बाड़ बना दो, ताकि मुझे उसकी शक्ल भी ना देखनी पड़े।" “ठीक हैं”, बढई ने कहा। बड़े भाई ने बढई को सारा सामान लाकर दे दिया और खुद शहर चला गया, शाम को लौटा तो बढई का काम देखकर भौंचक्का रह गया, बाड़ की जगह वहा एक पुल था, जो खाई को एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ जोड़ता था। इससे पहले की बढई कुछ कहता, उसका छोटा भाई आ गया। छोटा भाई बोला, “तुम कितने दरियादिल हो, मेरे इतने भला बुरा कहने के बाद भी त

जीवन सिर्फ एक पल है ...इसे जियो....इसे प्रेम करो...इसका आनंद लो.

एक बार एक आदमी मर जाता है... **जब उसे इसका एहसास होता है तो वो देखता है की भगवान हाथ में एक सूटकेस लिए उसकी तरफ आ रहें हैं। **भगवान और उस मृत व्यक्ति के बीच वार्तालाप ..... **भगवान: चलो बच्चे वापिस जाने का समय हो चुका है। **मृत व्यक्ति: इतनी जल्दी ? मेरी तो अभी बहुत सारी योजनाये बाकी थी। **भगवान्: मुझे अफ़सोस है लेकिन अब वापिस जाने का समय हो चुका है । **मृतव्यक्ति: आपके पास उस सूटकेस में क्या है ? **भगवान् : तुम्हारा सामान । **मृतव्यक्ति: मेरा सामान ? आपका मतलब मेरी वस्तुएँ.. ..मेरे कपड़े....मेरा धन..? **भगवान्: वो चीजें कभी भी तुम्हारी नहीं थी बल्कि इस पृथ्वी लोक की थी । **मृत व्यक्ति: तो क्या इसमें मेरी यादें हैं ? **भगवान्: नहीं ! उनका सम्बन्ध तो समय से था । **मृत व्यक्ति: क्या इसमें मेरी योग्यताएं हैं ? **भगवान् : नहीं ! उनका सम्बन्ध तो  परिस्थितियों से था। **मृत व्यक्ति: तब क्या मेरे दोस्त और मेरा परिवार ? **भगवान्: नहीं प्यारे बच्चे ! उनका सम्बन्ध तो उस रास्ते से था जिस पर तुमने अपनी यात्रा की थी । **मृतव्यक्ति: तो क्या ये मेरे बच्चे और पत्नी हैं ? **भगवान्: नहीं ! उनका सम्बन्ध तो

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं

"देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं" ***** देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. सुबह की सैर में कभी चक्कर खा जाते है .. सारे मौहल्ले को पता है...पर हमसे छुपाते है दिन प्रतिदिन अपनी खुराक घटाते हैं और तबियत ठीक होने की बात फ़ोन पे बताते है. ढीली हो गए कपड़ों को टाइट करवाते है, देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. किसी के देहांत की खबर सुन कर घबराते है, और अपने परहेजों की संख्या बढ़ाते है, हमारे मोटापे पे हिदायतों के ढेर लगाते है, "रोज की वर्जिश"के फायदे गिनाते है. ‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत "हर दफे बताते है,  देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. हर साल बड़े शौक से अपने बैंक जाते है,  अपने जिन्दा होने का सबूत देकर हर्षाते है, जरा सी बढी पेंशन पर फूले नहीं समाते है,  और FIXED DEPOSIT रिन्ऊ करते जाते है, खुद के लिए नहीं हमारे लिए ही बचाते है. देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं.. चीज़ें रख के अब अक्सर भूल जाते है,  फिर उन्हें ढूँढने में सारा घर सर पे उठाते है, और एक दूसरे को बात बात में हड़काते है, पर एक दूजे से अलग भी नहीं

औरते भी बड़ी ;बेवक़ूफ़ होती हो, बिना वजह रोना शुरू करदेती हो। एक बार जरूर पढे.

वो रोज़ाना की तरह आज फिर इश्वर का नाम लेकर उठी थी । किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया। फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें । कुछ ही पलों मे वो अपने  सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई। फिर बच्चों को नाश्ता कराया। पति के लिए दोपहर का टिफीन बनाना भी जरूरी था।     इस बीच स्कूल का रिक्शा आ गया और  वो बच्चों को रिक्शा तक छोड़ने चली गई । वापस आकर पति का टिफीन बनाया और फिर  मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये । इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो ।  उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए। अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर ये कहकर गई की भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना। तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या? अभी लीजिये नाश्ता तैयार है। पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले । उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।  

बरसों पहलेपिताजी मुझे स्कूल भेजने के लिए इसी तरह हथेली पर अठन्नी टिका देते थे

पिताजी के अचानक आ धमकने से पत्नी तमतमा उठी लगता है, बूढ़े को पैसों की ज़रूरत आ पड़ी है,   वर्ना यहाँ कौन आने वाला था... अपने पेट का गड्ढ़ा भरता नहीं,       घरवालों का कहाँ से भरोगे ? मैं नज़रें बचाकर     दूसरी ओर देखने लगा। पिताजी नल पर हाथ-मुँह धोकर     सफ़र,, की थकान दूर कर रहे थे। इस बार मेरा हाथ    कुछ ज्यादा ही तंग हो गया। बड़े बेटे का जूता फट चुका है। वह स्कूल जाते वक्त रोज भुनभुनाता है। पत्नी के इलाज के लिए पूरी दवाइयाँ नहीं खरीदी जा सकीं। बाबूजी को भी अभी आना था। घर में बोझिल "चुप्पी" पसरी हुई थी खाना खा चुकने पर,, पिताजी ने मुझे पास बैठने का इशारा किया। मैं शंकित था कि कोई आर्थिक समस्या लेकर आये होंगे. पिताजी कुर्सी पर उठ कर बैठ गए।     एकदम बेफिक्र...!!! “ सुनो ” कहकर उन्होंने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा। मैं सांस रोक कर   उनके मुँह की ओर देखने लगा। रोम-रोम कान बनकर,, अगला वाक्य सुनने के लिए चौकन्ना था। वे बोले... “ खेती के काम में घड़ी भर भी फुर्सत नहीं मिलती।     इस बखत काम का जोर है। रात की गाड़ी से वापस जाऊँगा। तीन महीने से तुम्हारी कोई चिट्ठी तक नहीं मिली... जब

ये मैसेज हर विवाहित स्त्री के मोबाइल मे होना चाहिए.

एक युवती बगीचे में बहुत गुस्से में बैठी थी पास ही एक बुजुर्ग बैठे थे उन्होने उस परेशान युवती से पूछा :- क्या हुआ बेटी क्यूं इतना परेशान हो युवती ने गुस्से में अपने पति की गल्तीयों के बारे में बताया बुजुर्ग ने मंद मंद मुस्कराते हुए युवती से पूछा बेटी क्या तुम बता सकती हो तुम्हारे घर का नौकर कौन है ? युवती ने हैरानी से पूछा :- क्या मतलब ? बुजुर्ग ने कहा :- तुम्हारे घर की सारी जरूरतों का ध्यान रख कर उनको पूरा कौन करता है? युवती :- मेरे पति बुजुर्ग ने पूछा :- तुम्हारे खाने पीने की और पहनने ओढ़ने की जरूरतों को कौन पूरा करता है? युवती :- मेरे पति बुजुर्ग :- तुम्हें और बच्चों को किसी बात की कमी ना हो और तुम सबका भविष्य सुरक्षित रहे इसके लिए हमेशा चिंतित कौन रहता है? युवती :- मेरे पति बुजुर्ग ने फिर पूछा :- सुबह से शाम तक कुछ रुपयों के लिए बाहर वालों की और अपने अधिकारियों की खरी खोटी हमेशा कौन सुनता है ? युवती :- मेरे पति बुजुर्ग :- परेशानी ऒर गम में कॊन साथ देता है , युवती :- मेरे पति बुजुर्ग :- तुम लोगोँ के अच्छे जीवन और रहन सहन के लिए दूरदराज जाकर, सारे सगे संबंधियों को यहां तक की अपने माँ ब

गलतफहमी का शिकार होकर रिश्ते बिगडते है।

एक जौहरी के निधन के बाद उसका परिवार संकट में पड़ गया। खाने के भी लाले पड़ गए। एक दिन उसकी पत्नी ने अपने बेटे को नीलम का एक हार देकर कहा- 'बेटा, इसे अपने चाचा की दुकान पर ले जाओ। कहना इसे बेचकर कुछ रुपये दे दें। बेटा वह हार लेकर चाचा जी के पास गया। चाचा ने हार को अच्छी तरह से देख परखकर कहा- बेटा, मां से कहना कि अभी बाजार बहुत मंदा है। थोड़ा रुककर बेचना, अच्छे दाम मिलेंगे। उसे थोड़े से रुपये देकर कहा कि तुम कल से दुकान पर आकर बैठना। अगले दिन से वह लड़का रोज दुकान पर जाने लगा और वहां हीरों रत्नो की परख का काम सीखने लगा। एक दिन वह बड़ा पारखी बन गया। लोग दूर-दूर से अपने हीरे की परख कराने आने लगे। एक दिन उसके चाचा ने कहा, बेटा अपनी मां से वह हार लेकर आना और कहना कि अब बाजार बहुत तेज है, उसके अच्छे दाम मिल जाएंगे। मां से हार लेकर उसने परखा तो पाया कि वह तो नकली है। वह उसे घर पर ही छोड़ कर दुकान लौट आया। चाचा ने पूछा, हार नहीं लाए? उसने कहा, वह तो नकली था। तब चाचा ने कहा- जब तुम पहली बार हार लेकर आये थे, तब मैं उसे नकली बता देता तो तुम सोचते कि आज हम पर बुरा वक्त आया तो चाचा हमारी चीज को भ

किसी के लिएभी दरवाजा नहीं खोला जायेगा !

अपनी शादी के पहले दिन पति और पत्नी के बीच शर्त रखी जाती है कि किसी के लिए भी दरवाजा नहीं खोला जायेगा ! .. ... उसी दिन उस लड़के के माता पिता आये और अन्दर जाने के लिए दरवाजा खट खटाया ! .. ... पति पत्नी एक दुसरे की तरफ देखते है। ... .. पति अपने माता पिता के लिए दरवजा खोलना चाहता है लेकिन उसे शर्त याद आ जाती है। वह दरवाज़ा नहीं खोलता है ओर उसके माता पिता चले जाते है । ... ...... कुछ समय के बाद उसी दिन लड़की के माता पिता आते है और अन्दर जाने के लिए दरवाजा ख़त खटाते है । .. ... पति पत्नी फिर एक दुसरे की तरफ देखते है और उस समय भी वो शर्त याद करते है । .. ... पत्नी की आँखों में आंसू आ जाते हे वो अपने आंसू पूछते हुए कहती हे : मै अपने माता पिता के लिए ऐसा नहीं कर सकती और दरवाजा खोल देती है । .. पति कुछ नहीं कहता है ।। .. ... कुछ समय के बाद उनके दो पुत्र जन्म लेते है । ... ..... इसके बाद उनको तीसरा बच्चा होता है जो एक लड़की (बेटी) होती है ।। .. ... वह पति अपनी पुत्री के जन्म लेने के अवसर पर एक बहुत बड़ी और शानदार पार्टी का आयोजन करता है और अपने सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाता है । .. .... ..

ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बिते हुए समय को खरीद सके ।

एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूर्ण मेहनत तथा ईमानदारी से करती थी ! गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के भी खूब खुश थी क्यों कि उसके मालिक ....... जंगल के राजा शेर नें उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रक्खा था ! गिलहरी काम करते करते थक जाती थी तो सोचती थी कि थोडी आराम कर लूँ .... वैसे ही उसे याद आता था :- कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा - गिलहरी फिर काम पर लग जाती ! गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते - कुदते  देखती थी तो उसकी भी ईच्छा होती थी कि मैं भी enjoy करूँ ! पर उसे अखरोट याद आ जाता था ! और वो फिर काम पर लग जाती ! शेर कभी - कभी उसे दूसरे शेर के पास भी काम करने के लिये भेज देता था ! ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना चाहता था , शेर बहुत ईमानदार था ! ऐसे ही समय बीतता रहा.... एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आजाद कर दिया ! गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि:-अब अखरोट हमारे किस काम के ? पुरी जिन्दगी काम करते - करते दाँत तो घिस गये, इसे खाऊँगी कैसे ! दोस्तों यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है ! इन्सान अपनी ईच्छाओं का त्याग

“इस आयु में जीवन कैसे जिया जाए, यह आपने बखूबी समझ लिया है।

एक बार यूनान के मशहूर दार्शनिक सुकरात भ्रमण करते हुए एक नगर में गए। वहां उनकी मुलाकात एक वृद्ध सज्जन से हुई, दोनों आपस में काफी घुलमिल गए। वृद्ध सज्जन आग्रहपूर्वक सुकरात को अपने निवास पर ले गए। भरा-पूरा परिवार था उनका, घर में बहु-बेटे, पौत्र-पौत्रियां सभी थे। सुकरात ने बुजुर्ग से पूछा- “आपके घर में तो सुख-समृद्धि का वास है। वैसे अब आप करते क्या हैं?" इस पर वृद्ध ने कहा- “अब मुझे कुछ नहीं करना पड़ता। ईश्वर की दया से हमारा अच्छा कारोबार है, जिसकी सारी जिम्मेदारियां अब बेटों को सौंप दी हैं। घर की व्यवस्था हमारी बहुएं संभालती हैं। इसी तरह जीवन चल रहा है।" यह सुनकर सुकरात बोले- "किन्तु इस वृद्धावस्था में भी आपको कुछ तो करना ही पड़ता होगा। आप बताइए कि बुढ़ापे में आपके इस सुखी जीवन का रहस्य क्या है?" वह वृद्ध सज्जन मुस्कराए और बोले- “मैंने अपने जीवन के इस मोड़ पर एक ही नीति को अपनाया है कि दूसरों से ज्यादा अपेक्षाएं मत पालो और जो मिले, उसमें संतुष्ट रहो। मैं और मेरी पत्नी अपने पारिवारिक उत्तरदायित्व अपने बेटे-बहुओं को सौंपकर निश्चिंत हैं। अब वे जो कहते हैं, वह मैं कर देता हूं

अपने लिए भी जियें ..! थोड़ा सा वक्तनिकालो वरना....पढोगे तो रो पड़ोगे ...

ज़िंदगी के 20 वर्ष.. हवा की तरह उड़ जाते हैं...! फिर शुरू होती है..... नौकरी की खोज....! ये नहीं वो, दूर नहीं पास. ऐसा करते 2-3 नौकरीयां छोड़ते पकड़ते.... अंत में एक तय होती है, और ज़िंदगी में थोड़ी स्थिरता की शुरूआत होती है.... ! ........ और हाथ में आता है... पहली तनख्वाह का चेक, वह बैंक में जमा होता है और शुरू होता है..... अकाउंट में जमा होने वाले कुछ शून्यों का अंतहीन खेल.....! ........... इस तरह 2-3 वर्ष निकल जाते हैँ....! 'वो' स्थिर होता है.... बैंक में कुछ और शून्य जमा हो जाते हैं.... इतने में अपनी उम्र के पच्चीस वर्ष हो जाते हैं...! ........... विवाह की चर्चा शुरू हो जाती है... एक खुद की या माता पिता की पसंद की लड़की से यथा समय विवाह होता है ... और ज़िंदगी की राम कहानी शुरू हो जाती है....! .......... शादी के पहले 2-3 साल नर्म, गुलाबी, रसीले और सपनीले गुज़रते हैं.....! हाथों में हाथ डालकर बातें और रंग बिरंगे सपने......! पर ये दिन जल्दी ही उड़ जाते हैं...और इसी समय शायद बैंक में कुछ शून्य कम होते हैं......! क्यों कि थोड़ी मौजमस्ती, घूमना फिरना, खरीदारी होती है.....! ......

अपनी सोच को हमेशा ऊंचा रखें.

एक आदमी ने देखा की एक गरीब,,,बच्चा उसकी कीमती कार को निहार रहा है। उसे रहम आ गया और उसने उस बच्चे को अपनी कार में बैठा लिया। बच्चा : आपकी कार बहुत महंगी है ना। आदमी : हाँ। मेरे बड़े भाई ने मुझे उपहार में दी है। बच्चा : आपके बड़े भाई कितने अच्छे आदमी हैं। आदमी: मुझे पता है तुम क्या सोच रहे हो। तुम भी ऐसी कार चाहते होना? बच्चा: नहीं। मै भी आपके बड़े भाई जैसा बनना चाहता हूँ। मेरे भी छोटे भाई बहन हैं ना। Thought of the day.."अपनी सोच को हमेशा ऊंचा रखें,दूसरों की अपेक्षाओं से भी कहीं ज्यादा ऊंचा।

मोबाइल परखेलने और फेसबुक से चिपके रहने में हम अपने रिश्तों कीअहमियत गँवा देंगे.

हे मित्रवर , वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी | सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था और उनकी कॉपिया जाचने के लिए घर ले आई थी | बच्चो की कॉपिया देखते देखते उसके आंसू बहने लगे | उसका पति वही लेटे mobile देख रहा था | उसने रोने का कारण पूछा । टीचर बोली , “सुबह मैंने बच्चो को ‘मेरी सबसे बड़ी ख्वाइश’ विषय पर कुछ पंक्तिया लिखने को कहा था ; एक बच्चे ने इच्छा जाहिर करी है की भगवन उसे Mobile बना दे | यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे | टीचर बोली , “आगे तो सुनो बच्चे ने लिखा है यदि मै mobile बन जाऊंगा, तो घर में मेरी एक खास जगह होगी और सारा परिवार मेरे इर्द- गिर्द रहेगा | जब मै बोलूँगा, तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेंगे | मुझे रोका टोका नहीं जायेगा और नहीं उल्टे सवाल होंगे | जब मै mobile बनूंगा, तो पापा ऑफिस से आने के बाद थके होने के बावजूद मेरे साथ बैठेंगे | मम्मी को जब तनाव होगा, तो वे मुझे डाटेंगी नहीं, बल्कि मेरे साथ रहना चाहेंगी | मेरे बड़े भाई-बहनों के बीच मेरे पास रहने के लिए झगड़ा होगा | यहाँ तक की जब mobile बंद रहेगा, तब भी उसकी अच्छी तरह देखभाल होगी | और हाँ , mobile के रूप में मै सबको ख़ुशी भी दे सकूँ

कोन परेशान किसे घर छोड़ना चाहिये।

एक बार का समय था भगवान हरि अपनी पत्नी से झगड़ा कर केलाश पर आ गये तब भगवान शिव ने उनसे पुछा नारायण आप यहा.... कैसे आना हुवा क्या प्रयोजन हैं यहा आने का.... तब श्री हरि कहते हैं की में अपनी पत्नी से झगड़ा करके आया हु तब शिव बोले आपके परिवार में आप और माता लक्ष्मि हैं फिर भी झगड़ा केसे हो गया मुझे देखो में पूरा परिवार लेकर बैठा हु आपके हिसाब तो हमे रोज झगड़ना चाहिए l तब श्री हरि कहते हैं आप क्यों झगड़ेगे आप तो पूरा दिन समाधी में रहते हो आपको क्या चिंता परिवार की तब शिव कहते हैं आपको लगता हैं मुझे परिवार की चिंता नही हैं आप मेरे प्रश्न का उतर दे मेरी सवारी क्या हैं ? भगवान हरि बोले वृषभ और मेरी पत्नी की वो बोले शेर तब शिव कहते की ''शेर कहता हैं आप मुझे छोड़े तो में वृषभ को खाऊ, मेरे गले में सर्प और गणेश की सवारी मूषक सर्प कहता आप मुझे छोड़े तो मे मूषक को खाऊ,  कार्तिक की सवारी मयूर और मेरे गले सर्प मयूर बोले आप मुझे छोड़े तो में सर्प को खाऊ, अब आप ही बताईये जिनके गण ही आपस नही मिलते फिर भी पूरा परिवार चला रहा हू रही बात सम्मान की आप किसी शिव मंदिर में जाते तो सबसे पहले किसका पूजन करते हो..